वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: डूंगरपुर कलेक्टर की नई पहल से बढ़ी जन भागीदारी, अधिकारियों ने भी निभाई ज़िम्मेदारी

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: डूंगरपुर कलेक्टर की नई पहल से बढ़ी जन भागीदारी, अधिकारियों ने भी निभाई ज़िम्मेदारी डूंगरपुर में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान अब सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि जन-आंदोलन बनता जा रहा है। जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने खुद आर्थिक सहयोग से इसकी शुरुआत की, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी प्रेरणा मिली। जल संकट के इस दौर में जल संरक्षण की महत्ता को समझते हुए सभी विभागों ने भागीदारी दिखाई। कलेक्टर की यह पहल समाज को संदेश देती है कि बदलाव की शुरुआत खुद से की जानी चाहिए। जानिए कैसे डूंगरपुर में इस अभियान को जन सहयोग और प्रशासनिक प्रयासों से मजबूती मिल रही है — पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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जल संरक्षण अब सिर्फ नीतियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि डूंगरपुर में यह अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है।

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: डूंगरपुर में जन सहयोग से हुई मजबूत शुरुआत

जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने इसकी शुरुआत खुद अपने आर्थिक सहयोग से की और स्पष्ट संदेश दिया — “परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होती है।”

इस पहल से आमजन और अधिकारी दोनों प्रेरित हुए और तुरंत सहयोग प्रदान किया।

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: कलेक्टर ने खुद डाली पहली राशि

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान में प्रशासन की भागीदारी

  • जिला परिषद सभागार में आयोजित बैठक में हुई पहल की शुरुआत
  • कलेक्टर ने पात्र में सबसे पहले आर्थिक सहयोग डाला
  • अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी मौके पर आर्थिक योगदान दिया

: कलेक्टर का संदेश:

डूंगरपुर में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान अब सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि जन-आंदोलन बनता जा रहा है। “जल संरक्षण सिर्फ सरकारी योजना नहीं, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: प्रशासनिक समीक्षा के मुख्य बिंदु

बैठक में न सिर्फ जल संरक्षण की चर्चा हुई, बल्कि विकास कार्यों की भी समीक्षा की गई।

कलेक्टर ने दिए स्पष्ट निर्देश:

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विभागदिशा-निर्देश
कृषि विभागमिनिकिट का समय पर वितरण सुनिश्चित किया जाए
पशुपालन विभागसभी पशुओं का समय पर टीकाकरण
स्वास्थ्य विभागमौसमी बीमारियों के लिए दवाइयों का भंडारण
लोक निर्माणटूटी सड़कों की मरम्मत और गुणवत्ता की निगरानी

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: क्यों जरूरी है जन भागीदारी?

जल संरक्षण की सफलता केवल सरकार पर नहीं, जन सहयोग पर निर्भर है।

जन सहभागिता के फायदे:

  • लोगों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है
  • संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होता है
  • जल संकट से निपटने में सामूहिक ताकत काम आती है

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: डूंगरपुर मॉडल से देश क्या सीख सकता है?

  1. नेतृत्वकर्ता स्वयं आगे बढ़े तो प्रेरणा बढ़ती है
  2. जागरूकता से जुड़ती है जिम्मेदारी
  3. प्रत्येक नागरिक की भागीदारी ज़रूरी है
  4. प्रशासन और जनता मिलकर कोई भी अभियान सफल बना सकते हैं

वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान: भविष्य की दिशा क्या हो

  • ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों का संरक्षण
  • वर्षा जल संचयन की तकनीकों को अपनाना
  • स्कूलों और पंचायतों में जल जागरूकता कार्यक्रम
  • हर घर जल योजना के साथ सामुदायिक प्रयासों का संयोजन

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