डूंगरपुर वनकर्मी ट्रेनिंग के 9 वनकर्मियों को अब ट्रेंकुलाइज की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे लेपर्ड को खुद ट्रेंकुलाइज कर सकेंगे। इससे उदयपुर से विशेषज्ञ बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से हो सकेगा। जंगलों में बढ़ते लेपर्ड मूवमेंट और आबादी क्षेत्रों में उनकी घुसपैठ को देखते हुए यह कदम बेहद जरूरी बन गया था। इस ट्रेनिंग से न केवल समय बचेगा, बल्कि वन्यजीव और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं भी कम होंगी। जानिए कैसे यह बदलाव डूंगरपुर के वन विभाग की कार्यक्षमता को नई दिशा देगा।
डूंगरपुर वनकर्मी ट्रेनिंग से अब खुद करेंगे लेपर्ड रेस्क्यू
डूंगरपुर के वन क्षेत्रों में हाल के वर्षों में लेपर्ड मूवमेंट तेजी से बढ़ा है। कभी शिकार की तलाश में तो कभी भटक कर ये खूबसूरत मगर खतरनाक जानवर आबादी क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं।
पहले ऐसी स्थिति में उदयपुर से ट्रेंकुलाइजर टीम बुलानी पड़ती थी, जिससे रेस्क्यू में घंटों लग जाते थे। लेकिन अब हालात बदलने जा रहे हैं।
अब डूंगरपुर के 9 वनकर्मी लेपर्ड को ट्रेंकुलाइज करना सीखेंगे
डूंगरपुर वन विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है — जिले के 9 वनकर्मियों को ट्रेंकुलाइजिंग की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
इन वनकर्मियों को हर वन खंड से चुना गया है ताकि पूरे जिले में कोई भी इमरजेंसी हो, तत्काल रेस्पॉन्स मिल सके।
डूंगरपुर के 9 वनकर्मियों को अब ट्रेंकुलाइज की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी, डूंगरपुर वनकर्मी ट्रेनिंग के फायदे: क्या बदलेगा?
1. रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आएगी
- ट्रेंड वनकर्मी मौके पर तुरंत पहुंच सकेंगे।
- उदयपुर से आने में लगने वाला 3–4 घंटे का समय बचेगा।
2. लेपर्ड की जान बचेगी
- गुस्साई भीड़ द्वारा लेपर्ड पर हमला करने की घटनाओं पर रोक लगेगी।
- समय पर ट्रेंकुलाइजिंग से जानवर सुरक्षित रहेगा।
3. इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी
- हमला करने की घटनाओं में कमी आएगी।
- लोगों में वन विभाग के प्रति भरोसा बढ़ेगा।
डूंगरपुर में पहले क्यों नहीं था ट्रेंड ट्रेंकुलाइजर?
डूंगरपुर में पहले से ट्रेंकुलाइज गन मौजूद थी, लेकिन उसे चलाने वाला कोई ट्रेंड शूटर नहीं था।
जिला उपवन संरक्षक रंगास्वामी के अनुसार, हर बार लेपर्ड को पकड़ने के लिए उदयपुर से विशेषज्ञ बुलाना पड़ता था।
संभाग में केवल एक ट्रेंकुलाइजर होने के कारण समय पर मदद नहीं मिल पाती थी।
वन्यजीव प्रेमियों के लिए राहत की खबर
डूंगरपुर के वन्यजीव प्रेमी इस खबर से खुश हैं। अब रेस्क्यू ऑपरेशन अधिक प्रभावी और सुरक्षित होगा।
अक्सर देखा गया है कि लोगों की भीड़ जानवर को मार देती है, जो कि वन्यजीव अधिनियम के अनुसार अपराध है।
ट्रेंड टीम होने से ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
डूंगरपुर वनकर्मी ट्रेनिंग: ट्रेनिंग में क्या-क्या सिखाया जाएगा?
प्रशिक्षण बिंदु | विवरण |
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ट्रेंकुलाइजिंग तकनीक | कैसे और कहां दवा का प्रयोग करना है |
गन हैंडलिंग | ट्रेंकुलाइज गन को सुरक्षित चलाना |
रेस्क्यू ऑपरेशन | भीड़ को कैसे संभालें और जानवर को सुरक्षित कैसे करें |
मेडिकल जांच | ट्रेंकुलाइज के बाद जानवर की सेहत जांच |
जानिए क्यों है यह कदम जरूरी?
- डूंगरपुर में पिछले 2 सालों में कई लेपर्ड हमले हो चुके हैं।
- इन हमलों में कई ग्रामीण घायल हुए और कुछ मौकों पर लेपर्ड की मौत भी हुई।
- वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से यह ट्रेनिंग एक गंभीर जरूरत बन गई थी।
निष्कर्ष:
डूंगरपुर में वन विभाग की यह पहल समय की मांग भी थी और ज़मीनी हकीकत को समझने की मिसाल भी। ट्रेंड वनकर्मियों की मौजूदगी से अब ना सिर्फ लेपर्ड की जान बचेगी बल्कि इंसानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। यह कदम डूंगरपुर को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा।