गैप सागर में डीसिल्टिंग कार्य डूंगरपुर के गैप सागर जलाशय में भारतीय जैन संगठन द्वारा चलाए जा रहे डीसिल्टिंग कार्य का कलेक्टर अंकित कुमार सिंह और सीईओ हनुमान सिंह राठौड़ ने निरीक्षण किया। इस अभियान से जलाशय की गहरीकरण प्रक्रिया में सवा लाख वर्ग फीट गाद निकाली गई है, जिससे जल स्तर में वृद्धि और जलाशय के पुनरुद्धार में मदद मिल रही है।
गैप सागर डूंगरपुर में डीसिल्टिंग कार्य: जल संरक्षण अभियान में भारतीय जैन संगठन की महत्वपूर्ण पहल
डूंगरपुर जिले के गैप सागर जलाशय में भारतीय जैन संगठन (BJS) द्वारा चलाए जा रहे डीसिल्टिंग कार्य ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश की है। कलेक्टर अंकित कुमार सिंह और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हनुमान सिंह राठौड़ ने इस कार्य का हाल ही में निरीक्षण किया, जिससे जलाशय के पुनरुद्धार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
गैप सागर जलाशय: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
गैप सागर जलाशय डूंगरपुर शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह जलाशय महारावल गोपीनाथ द्वारा 1428 में बनवाया गया था और इसके मध्य में बादल महल स्थित है। यहां स्थित श्री गोवर्धन्नाथ मंदिर और विजय राजराजेश्वर मंदिर क्षेत्र की धार्मिक धरोहर को दर्शाते हैं।
जलाशय के गहरीकरण में भारतीय जैन संगठन की भूमिक
बीजेएस डूंगरपुर शाखा ने पिछले 10 दिनों से गैप सागर जलाशय में अनवरत डीसिल्टिंग कार्य प्रारंभ किया है। अब तक लगभग सवा लाख वर्ग फीट गाद निकाली जा चुकी है, जिससे जलाशय की गहराई में वृद्धि हुई है और जल स्तर में सुधार हुआ है। निकाली गई उपजाऊ मृदा को पास के काश्तकारों को उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे कृषि उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है।
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जिला प्रशासन की पहल: जल आवक मार्गों की सफाई
कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने निरीक्षण के दौरान गैप सागर जलाशय के जल आवक मार्गों की सफाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि इन मार्गों पर गंदगी को हटाया जाए ताकि जलाशय में जल की आवक में कोई रुकावट न हो और जलाशय भरने की प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी रहे।
जल संरक्षण अभियान में सामुदायिक सहभागिता
जल संरक्षण के इस अभियान में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। बीजेएस के जिलाध्यक्ष नीरव जैन, सचिव सौरभ जैन, उपाध्यक्ष अभिषेक दोशी, हर्षवर्धन जैन, वाटर प्रोजेक्ट हेड प्रतिक जैन और प्रमुख व्यवसायी हुसैनी लोखंडवाला जैसे व्यक्तियों ने इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सामूहिक प्रयास से जल संरक्षण की दिशा में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।