रामनवमी पर डूंगरपुर में भव्य आयोजन : डूंगरपुर, जो अपनी सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है, इस बार रामनवमी के पावन अवसर पर इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। शहर में 3.5 किमी लंबी रंगोली सजाई जा रही है, जो अपने आप में एक अद्वितीय प्रयास है। इस भव्य आयोजन का उद्देश्य भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव को श्रद्धा, भक्ति और कला के साथ मनाना है।
शहर की सड़कों पर 3.5 किमी लंबी रंगोली: एक नई परंपरा की शुरुआत
डूंगरपुर शहर की रामनवमी शोभायात्रा इस वर्ष विशेष होने जा रही है क्योंकि इसके मार्ग को रंग-बिरंगी, कलात्मक और पारंपरिक रंगोली से सजाया जा रहा है। शहर के तहसील चौराहे से लेकर महारावल स्कूल तक के रास्ते को हजारों लीटर रंगों से भरकर सजाया जा रहा है।
हजारों महिलाएं, बालिकाएं, बच्चे और युवा इस सजावट में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उनके हाथों में ब्रश, बाल्टी और उत्साह है, जो हर रंगोली को अद्वितीय बना रहा है। हर डिजाइन में श्रीराम के जीवन से जुड़ी कथाएं, धार्मिक प्रतीक और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई दे रही है।
गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की ओर एक और कदम
डूंगरपुर पहले भी गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपनी लंबी रंगोली के लिए प्रसिद्ध रहा है। इस बार शहरवासी उस रिकॉर्ड को तोड़ने और नया इतिहास रचने के प्रयास में जुटे हैं। इस कार्य में 1000 लीटर से अधिक रंगों का उपयोग हो रहा है।
रंगोली की लंबाई और डिजाइन की जटिलता इस प्रयास को अभूतपूर्व बनाती है। रात भर महिलाएं और युवक मोमबत्तियों और मोबाइल फ्लैशलाइट की रोशनी में रंग भरते नजर आते हैं। यह समर्पण और भक्ति का असाधारण उदाहरण है।
शोभायात्रा में झांकियां और 51 घोड़ों की टोली
शोभायात्रा का प्रारंभ बादल महल से होगा, जो डूंगरपुर की विरासत का प्रतीक है। इस यात्रा में 51 घोड़े, पारंपरिक वाद्ययंत्र, डीजे और लोक वेशभूषा में सजे भक्तगण शामिल होंगे। इन सभी का उद्देश्य भगवान राम की शोभा बढ़ाना और लोगों में धर्म के प्रति श्रद्धा को सशक्त करना है।
श्रीराम जन्मोत्सव समिति द्वारा इस बार विशेष झांकियों की तैयारी की गई है, जिनमें शामिल हैं:
- 12 फीट ऊँचे हनुमानजी के पात्र
- श्रीराम दरबार की जीवंत झांकी
- शिव-पार्वती और अन्य महापुरुषों की प्रस्तुति
- ग्रामीण क्षेत्रों से आई पारंपरिक सांस्कृतिक झलकियां
हर झांकी को इतनी खूबसूरती और सजीवता से सजाया गया है कि देखने वालों की आंखें ठहर जाती हैं। इस आयोजन से जुड़े कलाकारों और शिल्पकारों ने कला, धर्म और संस्कृति को एक मंच पर प्रस्तुत किया है।
सजा दो इस गुलशन को मेरे प्रभु श्रीराम आए हैं” – सजावट में बसी आस्था
डूंगरपुर शहर के कोने-कोने में भगवा रंग की चादर बिछाई जा रही है। सड़कें, गलियां, चौक-चौराहे, दुकानें और घरों के बाहर भगवा झंडे, लाइटिंग और पुष्पमालाएं सजाई गई हैं। लोग दिनभर काम के बाद शाम से लेकर देर रात तक सजावट में जुट जाते हैं।
इस बार का संदेश है – “राम हमारे अंत:करण में नहीं, हमारे शहर की हर दीवार पर हों।”
सामूहिक प्रसादी: भक्ति और सेवा का संगम
शाम को आयोजन के अंत में सामूहिक भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करेंगे। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक संतुष्टि देगा, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे की मिसाल भी बनेगा।
सेवाभाव से जुड़े सैकड़ों कार्यकर्ता, स्वयंसेवी संस्थाएं और रामभक्त मिलकर इस आयोजन को सफल बना रहे हैं। हर घर से कोई न कोई सदस्य किसी न किसी रूप में इस आयोजन में भाग ले रहा है।
सोशल मीडिया पर भी छा रहा है रामनवमी पर डूंगरपुर में भव्य आयोजन
रंगोली, झांकियां और सजावट की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Instagram और WhatsApp पर वायरल हो रही हैं। डूंगरपुर की इस पहल को देशभर से सराहना मिल रही है और लोग इसे “भारत की सबसे सुंदर रामनवमी शोभायात्रा” बता रहे हैं।
लोकल प्रशासन, व्यापार मंडल, युवा संगठन और धार्मिक समिति मिलकर पूरे आयोजन को एक मिसाल बना रहे हैं।
धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक
रामनवमी केवल एक त्योहार नहीं, धर्म, संस्कृति, भक्ति और सामाजिक समरसता का महापर्व है। डूंगरपुर का यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि जब पूरा शहर एक साथ आता है, तो असंभव को भी संभव बना सकता है।
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यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का माध्यम बनेगा।